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अब मन भज श्री रघुपति राम / बिन्दु जी

अब मन भज श्री रघुपति राम,
पल छिन सुमिरन कर तेरो जगत जलधि को,
भरमत फिरत कहे माया के फंदन में।
तजो कपट छल काम॥ मन अब...
सदा कहो सुखकर दुखहर म्नुध्र प्रहरी,
अमित अधम जिन तारे भक्त रखवारे दीन के सहारे।
‘बिन्दु’ बिन गुण ग्राम॥ मन अब...