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अब माँ को तो आदत है रोने की / वंदना मिश्रा

घर में दो चूल्हे हुए तो माँ से पूछा गया
किसके साथ रहोगी?
माँ ने बूढ़े बीमार पति और कुँवारे बेटे के साथ
तीसरा चूल्हा जलाने की सोची
कौन समय से और प्यार से देगा इन्हें
रोटी?
ऊपर के कमरे में बड़ा बेटा
नीचे मझला
बीच में माँ की रसोई
जिस माँ के आगे-पीछे चूजों की तरह
घूमते रहते थे बेटे
अब सूनी आँखों से
देखती है, अपने जायो को

अपने बेटों के साथ खिल खिलाती भाभियाँ
कभी बूढ़ी नहीं होंगी
"माँ ममता का सागर होती है
तुम्हारी दादी को छोड़ कर" कह कर
हँसती हैं।
"बुढ़ापे में जीभ ज़्यादा तेज हो गई
इसलिए बेटों से अलग हो गई "

बेटे अपने बच्चों को
परिवार की परिभाषा सिखाते
माँ के परिवार में
सिर्फ छोटे भाई और पिता को जोड़ते

माँ को क्या पता 'न्यू क्लियर फैमिली' की परिभाषा
वो हर बार इस बात पर रो देती है
कि मेरा परिवार इतना छोटा कैसे हो गया

समझाने पर भी
रोने की आदत लगा ली है
बताओ उस दिन जब मझले बेटे का साला आया
और पूछ लिया"ठीक हौ अम्मा"
अब इसमें ये कहने कि "अब ऐसे जादा ठीक का होबे"
और रोने की क्या बात थी

तो क्या हुआ कि वह अलग खाना बना रही थी
उनकी अपनी इच्छा थी
घर की बेइज्जती कराने की ठान ली है
डपटते हैं बेटे
माँ एकता देखना चाहती है और
उसे कोसने में एक हो जाते हैं बेटे।