भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी / महादेवी वर्मा

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:36, 1 सितम्बर 2015 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आँधी आई जोर शोर से,
डालें टूटी हैं झकोर से।
उड़ा घोंसला अंडे फूटे,
किससे दुख की बात कहेगी!
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी?

हमने खोला आलमारी को,
बुला रहे हैं बेचारी को।
पर वो चीं-चीं कर्राती है
घर में तो वो नहीं रहेगी!

घर में पेड़ कहाँ से लाएँ,
कैसे यह घोंसला बनाएँ!
कैसे फूटे अंडे जोड़े,
किससे यह सब बात कहेगी!
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी?