Last modified on 29 अगस्त 2012, at 21:11

अब यह नव प्रभात मधुमय हो / गुलाब खंडेलवाल


अब यह नव प्रभात मधुमय हो
मंगलमय, द्युतिमय, शोभामय, पावन अरुणोदय हो

अंध निशा का वक्ष चीर कर
फूटें ज्ञान रश्मियाँ भास्वर
युग युग की हिममय जड़ता पर
नव जीवन की जय हो

बरसे घर-घर प्रेम-सुधा-रस
निर्मल, उज्जवल हो जन-मानस
कोई कहीं न कातर, परवश,
साधनहीन सभय हो

अब यह नव प्रभात मधुमय हो
मंगलमय, द्युतिमय, शोभामय, पावन अरुणोदय हो