Last modified on 11 अप्रैल 2020, at 14:25

अब स्वतंत्र हैं, सब स्वतंत्र हैं / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

हम सब बच्चे भी स्वतंत्र हैं
चाहे कुछ भी कर सकते
सागर के तल में जा सकते
ऊँचे से ऊँचा उड़ सकते
अपने नन्हें पाँवों से चल
विश्व भ्रमण भी तो कर सकते
दुखियों की सेवा कर सकते
दान किसी को भी दे सकते
मंदिर या मस्जिद में जायें
दुनियाँ वाले रोक न सकते
सदियों में पायी स्वतंत्रता
खोकर कुछ पायी स्वतंत्रता
प्राणों के बदले में आई
रक्त बहाकर ली स्वतंत्रता
इसका मूल्य समझना होगा
त्याग देश हित करना होगा
राष्ट्र प्रेम को समझ सके हम
राष्ट्र धर्म अपनाना होगा