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अब है ख़ुशी ख़ुशी में न ग़म है मलाल में / बहज़ाद लखनवी


अब है ख़ुशी ख़ुशी में न ग़म है मलाल में
दुनिया से खो गया हूँ तुम्हारे ख़याल में

मुझ को न अपना होश न दुनिया का होश है
मस्त होके बैठा हूँ तुम्हारे ख़याल में

तारों से पूछ लो मेरी रुदाद-ए-ज़िन्दगी
रातों को जागता हूँ तुम्हारे ख़याल में

दुनिया को इल्म क्या है ज़माने को क्या ख़बर
दुनिया भुला चुका हूँ तुम्हारे ख़याल में

दुनिया खड़ी है मुन्तज़िर-ए-नग़्मा-ए-अलम
'बेहज़द' चुप खड़े हैं किसी के ख़याल में