भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अभरोसा जोग / चंद्रप्रकाश देवल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अपां सावळ कदैई नक्की नीं कर सकां
के कद उडीकांला
अर कद उडीकणौ मेट करांला

बस उडीक
आपूंआप आप सूं उडीकावै
कदैई आपनै उडीकता
ऊभा छोड
उडीक बूही जावै।