भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अभी-अभी हटी है / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (अभी-अभी हटी है/ नागार्जुन का नाम बदलकर अभी-अभी हटी है / नागार्जुन कर दिया गया है)
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन
 
|संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
अभी-अभी हटी है
 
अभी-अभी हटी है

18:08, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

अभी-अभी हटी है
मुसीबत के काले बादलों की छाया
अभी-अभी आ गयी--
रिझाने, दमित इच्छाओं की रंगीन माया
लगता है कि अभी-अभी
ज़रा-सी गफ़लत में होगा चौपट किया-कराया

ठिकाने तलाश रही है चाटुकारों की भीड़
शंख फूँकने लगे नये-नये कुवलयापीड़
फिर से पहचान लो, वाद्यवृन्दों में पुरानी गमक और मीड़
दिखाई दे गये हैं गीध के शावकों को अपने नीड़

(1977 में रचित)