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अभी तो निर्माण की दिशा में / बलबीर सिंह 'रंग'

अभी तो निर्माण की दिशा में,
सुझाव है, साधना नहीं है?

अभी भी क्षति पूर्ति में कमी क्यों?
अभी गरीबी की जड़ जमी क्यों?
अभी भी मजबूर आदमी क्यों?
यह प्रश्न है, याचना नहीं है।

न भय से पीड़ित समाज सम्भव
जो कल नहीं था वो आज सम्भव
स्वराज्य जिस दिन सुराज्य सम्भव
अभी वह वानिक बना नहीं है।

न मन्द तारों की कांति होगी
कभी तो धरती पे शांति होगी
अभी तो एक और क्रांति होगी
यह सत्य है, कल्पना नहीं है।