अभी था बीच समंदर में अब किनारे पे है
ये सारा खेल, ये करतब तेरे इशारे पे है
बदन में कितना लहू है ये जांच करवा लो
बताना फिर कि जुनूँ कितना किस सहारे पे है
सियाह रात को ख़ातिर में लाये तो कैसे
ज़मीं हुई यर निगह कब से इक सितारे पे है
हवा का अगला क़दम आसमान पर होगा
मेरे वजूद का असबात इस नज़ारे पे है
मैं इस तरफ हूँ सरासीमा और बहुत ख़ामोश
मेरा सफ़ीना उधर दूसरे किनारे पे है।