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अमरीका शेर पढ़ने गए थे हमारे दोस्त / दिलावर 'फ़िगार'
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अमरीका शेर पढ़ने गए थे हमारे दोस्त
ख़ुद दाद ले के आ गए सामान रह गया
दीवान-ए-'हाफ़िज़' इतना पढ़ा एक शख़्स ने
ख़ुद भी वो हो के हाफ़िज़-ए-दीवान रह गया
ख़ुश-क़िस्मती से हम हैं सवार उस जहाज़ पर
साहिल पे जिस जहाज़ का कप्तान रह गया
हर शख़्स पर है कुफ़्र का फ़तवा लगा हुआ
यूँ है तो एक मैं ही मुसलमान रह गया