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अमृतरस/ कविता भट्ट

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ये आलिंगन
हमारे नयनों के
अमृतरस,
मैं आकण्ठ निमग्न
हर्षित मन
उद्वेलित-सा तन।
चलचित्र -से
घूमे मेरी स्मृति में
वे संस्मरण,
पुनः प्रियवर का
मिला सरस,
निश्छल आमंत्रण,
मूक अधर
आशा अनुगुंजन
प्रेम का निबन्धन ।