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अमृत धार / कविता भट्ट

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1
शैल मुदित
जन्मी जो सुन्दर- सी
बिटिया नदी।
2
मंगलगान
ध्येय लोककल्याण
नदी महान।
3
तरु मुस्काए
मरुथल भी गाए
नदिया भाए।
4
धरा हर्षित
नदिया उद्गमित
जी पुलकित।
5
जीवन -थार;
पिय! तुम नदिया
अमृत -धार।
6
जग पाषाण;
बहें नदी समान-
स्त्रियाँ महान।
7
नदी-संघर्ष
मूक-बधिर तट
तथापि हर्ष।
8
जीवन -शिला-
आपदा ने ढहाया
नदी का किला।
9
नन्दन वन-
सुरसरि जीवन
झाँको तो मन।
10
सुख सरिता-
ध्यान सुमुख धरो
शंकर पिता।