भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अम्मा रहतीं गाँव में (कविता) / प्रदीप शुक्ल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रदीप शुक्ल |अनुवादक= |संग्रह=अम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=प्रदीप शुक्ल | |रचनाकार=प्रदीप शुक्ल | ||
|अनुवादक= | |अनुवादक= | ||
− | |संग्रह=अम्मा रहतीं गाँव में | + | |संग्रह=अम्मा रहतीं गाँव में / प्रदीप शुक्ल |
}} | }} | ||
{{KKCatNavgeet}} | {{KKCatNavgeet}} |
02:02, 14 जून 2016 के समय का अवतरण
छुटका रहता
है विदेश में
मँझला बहू के पाँव में
बड़का रहता रजधानी में
अम्मा रहतीं गाँव में
तीन बरस से
छुटका बाहर
होली ना दीवाली
देख नहीं पाई अम्मा
अब तक उसकी घरवाली
गाय के नन्हे बछड़े को
अम्मा दुलरातीं छाँव में
अम्मा रहतीं गाँव में
मँझला कहता
खेती में,
कुछ होता नहीं है अम्मा
उस पर तेरे खाने कपड़े का
मुझ पर ही जिम्मा
छुपा छुपा कर रखें पिटरिया
मँझला रहता दाँव में
अम्मा रहतीं गाँव में
पिछले हफ्ते
गयीं थीं अम्मा
बड़के की रजधानी
नहीं बताना चाहें लेकिन
वहाँ की कोई कहानी
अम्मा वापस लौट चली हैं
फिर से अपने ठाँव में
अम्मा रहतीं गाँव में