http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE_/_%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A4%BE_%27%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%BE%27&feed=atom&action=historyअम्मा / कल्पना 'मनोरमा' - अवतरण इतिहास2024-03-29T14:22:41Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE_/_%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A4%BE_%27%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%BE%27&diff=236368&oldid=prevRahul Shivay: '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कल्पना 'मनोरमा' |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया2017-09-09T07:06:41Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कल्पना 'मनोरमा' |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया</p>
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|संग्रह=<br />
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<poem><br />
राई के दाने पर सरसों <br />
चली चढ़ाने अम्मा <br />
सदी पुरानी फटी ढोलकी <br />
लगी बजाने अम्मा।<br />
<br />
भावुक धड़कन कोरे सपने <br />
भरकर लाई मन में <br />
किरच –किरच बंट गई सभी में <br />
देखा न दर्पण में <br />
भोली मुस्कानों को किस्से <br />
लगी सुनाने अम्मा।<br />
<br />
झुकी भित्तियों को अपनाकर <br />
अल्हड़पन बिसराया <br />
लिखी इबारत सबके मन की <br />
खुद को खूब भुलाया <br />
इच्छाओं के महल दुमहले <br />
लगी बनाने अम्मा।<br />
<br />
चूल्हे में रोटी –सी सिकती <br />
जलती चौरे तुलसी <br />
तुलसी दास बने हर पलछिन <br />
बन जाती वह हुलसी <br />
गरम रेत में निर्मल सरिता <br />
लगी बहाने अम्मा।<br />
<br />
रेशम बदले मारकीन में <br />
तनिक नहीं घबराती <br />
अवसादों में घिरने पर भी <br />
गीत प्रेम के गाती<br />
कीचड़ देखा फूल कमल के <br />
लगी खिलाने अम्मा।<br />
</poem></div>Rahul Shivay