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17:49, 2 मई 2008 का अवतरण
मेरे भंडार में
एक बोरा ‘अगला जनम’
‘पिछला जनम’ सात कार्टन
रख गई थी मेरी माँ।
चूहे बहुत चटोरे थे
घुनों को पता ही नहीं था
कुनबा सीमित रखने का नुस्खा
... सो, सबों ने मिल-बाँटकर
मेरा भविष्य तीन चौथाई
और अतीत आधा
मज़े से हज़म कर लिया।
बाक़ी जो बचा
उसे बीन-फटककर मैंने
सब उधार चुकता किया
हारी-बीमारी निकाली
लेन-देन निबटा दिया।
अब मेरे पास भला क्या है ?
अगर तुम्हें ऐसा लगता है
कुछ है जो मेरी इन हड्डियों में है अब तक
मसलन कि आग
तो आओ
अपनी लुकाठी सुलगाओ।