बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
अरि ये हां राम लंकै गे
अरि ये राम लंकै गे - राम लंका गे दोउ भाई
कहै मदोबरि सुनु पिय रावन - ये हां हां
जेखी तिरिया तै हरि लाये कोपि चढ़े दोउ भाई
राम लंकै गे
मेघ नन्द अस बेटा जेखे कुम्भकरन अस भाई
तिनकी तिरिया का मन डरपै
सात समुद्रौ नौ खाई - राम लंकै गे
अंगद ऐसे सेवक जेखे हनुमान अस जोधा
बरत अगिनि मां उइं धंसि जइहैं
कहा करै तोर भाई राम लंकै गे
राम लंकै गे।