Last modified on 1 दिसम्बर 2011, at 13:11

अर्गला / अर्जुनदेव चारण

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:11, 1 दिसम्बर 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


हरेक आंख मे
एक घर होता है
जब-जब
अपनत्व
खटखटाता है दरवाजा
खुल जाती है
अर्गला।

अनुवाद :- कुन्दन माली