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अर्ज़ किया है मेरी तुम सुनो बोल दूँ / बेगम रज़िया हलीम जंग

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अर्ज़ किया है मेरी तुम सुनो बोल दूँ
तुम बुला लेना मुझ को मैं जब भी कहूँ

भेजते हो ख़ुशी से मुझे किस लिए
क्या नहीं देखते मेरा हाल-ए-ज़बूँ

क्यूँ सुलूक आप का ये बदलता नहीं
जो है औरों से वैसा ही मुझ से है क्यूँ

घर तुम्हारा बसाऊँ हमेशा को मैं
मैं तो ये चाहती हूँ तुम्हारी रहूँ