तुम नहीं हो
सिर्फ ये हैं -
अलगनी पर सूखते कपड़े
रात-भर पहने हुए
ये सुबह धोये गये
लग रहे हैं
रौशनी के पंख-से ये नये
कुछ मुलायम
रेशमी हैं
कुछ बहुत अकड़े
मैं हवा के द्वीप पर
बैठा हुआ हूँ
कभी सूरज हूँ
कभी कड़वा धुआँ हूँ
दिन
अकेला है
उसी से हो रहे झगड़े