कड़क ठंड में खीर पुड़ि याँ,
चटनी संग तीखी कचौड़ियाँ,
बिस्तर में बैठे-बैठे ही,
खाने का तो अलग मज़ा है।
क न टोपा के संग फुल स्वेटर,
और गले में-में ऊनी मफलर,
पहने पापा के संग शाला,
जाने का तो अलग मज़ा है।
शीत लहर में घर के भीतर,
शाम पढ़ाने आएँ टीचर,
उसके बाद ओढ़कर कम्बल,
सोने का तो अलग मज़ा है।