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अले, सुबह हो गई / रमेश तैलंग

3 bytes removed, 05:28, 26 सितम्बर 2011
जल्दी में क्या कल लूँ
चुपके छे अब भग लूँ ।
छंपादक दादा के नए हा्लहाल-चाल लूँ ।
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