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अले, सुबह हो गई / रमेश तैलंग
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05:28, 26 सितम्बर 2011
जल्दी में क्या कल लूँ
चुपके छे अब भग लूँ ।
छंपादक दादा के नए
हा्ल
हाल
-चाल लूँ ।
</poem>
अनिल जनविजय
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