भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अवधपुरी की शोभा जैसी / नाभादास

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अवधपुरी की शोभा जैसी । कहि नहिं सकहिं शेष श्रुति तैसी॥
रचित कोट कलधौत सुहावन । बिबिधा रंग मति अति मन भावन॥
चहुँ दिसि विपिन प्रमोदअनूपा । चतुरवीस जोजन रस रूपा॥
सुदिसि नगर सरजूसरिपावनि । मनिमय तीरथ परम सुहावनि॥
बिगसे जलज भृंग रस भूले । गुंजत जल समूह दोउ कूले॥
परिखा प्रति चहुँदिसि लसति, कंचन कोट प्रकास।
बिबिधा भाँति नग जगमगत, प्रति गोपुर पुर पास॥