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अवध नगरिया से अइलय बरियतिया हे / मगही

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

अवध नगरिया से अइलय<ref>आई</ref> बरियतिया हे, परिछन चलु सखिया।
हथिया झुमइते<ref>झूमते</ref> आवे, घोड़वा नचइते<ref>नाचते हुए</ref> सोभइते<ref>शोभते हुए</ref> आवे ना।
सखि रघुबर बरियतिया हे, सोभइते आवे ना॥1॥
बजन बजइते आवइ, कसबी<ref>वेश्या, नर्त्तकी</ref> नचइते हे।
उड़इत<ref>उड़ता हुआ</ref> आवे न चवदिस<ref>चारों दिशा</ref> से निसान<ref>झंडा</ref> हे, उड़इते आवे ना॥2॥
लेहू लेहू डाला<ref>डाला-दौरा</ref> डुली बारी लेहू बतिया हे।
परिछन चलु रघुबर बरियतिया हे, देखन चलु ना॥3॥
ढोल वो नगाड़ा बाजइ, बजइ सहनइया हे।
देखन चलु न सखि रघुबर बरियतिया हे॥4॥

शब्दार्थ
<references/>