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अवध नगरिया से अयले बरियतिया हे / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

अवध नगरिया से अयले बरियतिया हे।
परिछन चलु मिली जुली साजु सब सखिया हे॥1॥
साजी लेहु डाली डुली<ref>फूल की डाली</ref> बारी लेहु<ref>जला लो</ref> बतिया<ref>बत्ती</ref> हे।
पान फूल दूध दही अछत भरी लुटिया<ref>पूजा करने वाला छोटा लोटा</ref> हे॥2॥
मकुनी<ref>बिना दाँतवाला छोटे कद का हाथी</ref> जे हथिया के जरद<ref>पीले रंग का मखमल, जड़ीदार</ref> अमरिया<ref>अमारी, हौदा</ref> हे।
ताही चढ़ी आवल हमर अलबेलवा हे॥3॥
हथिया वो घोड़वा के बनवल हइ सिंगरबा<ref>शृंगार</ref> हे।
ताही चढ़ी चारो दुलहा सोभत असवरबा<ref>सवार</ref> हे॥4॥
जामा साजे जोड़ा साजे साजल गले हरवा हे।
हथवा रूमाल सोभे माथे मनिन<ref>मणियों की</ref> मउरिया हे॥5॥
सासु के अँखियाँ लगल मधुमछिया<ref>मधुमक्खी</ref> हे।
कइसे में परिछों दमाद अलबेलबा हे॥6॥
आरती करइतो सुधि बुधि नहीं आवे हे।
आनन्द मंगल तेही छन सब गावे हे॥7॥
राम रूप छकि-छकि पावे दरसनमा हे।
उँटवा नगाड़ा बाजे बाजे सहनइया हे॥8॥

शब्दार्थ
<references/>