Last modified on 9 जनवरी 2017, at 12:55

असाद के गोठ / नूतन प्रसाद शर्मा

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:55, 9 जनवरी 2017 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पड़र पड़र मुंह ला मारे मं काम अब ले बनिस नही।
गरजइया बादर ले पानी एको चुरवा गिरिस नहीं।

फोेकट बात करइया मनखे करत हे नास अपने काम।
गहूं के संग मं कीरा मरथे, पर ल रगर करत जय राम।
कामचोर मन बात बात मं जल मं खोजत रहिथे दही।
पड़र पड़र मुंह ला मारे मं काम अब ले बनिस नहीं।

काम करे बिन काम हा बनतिस तब काबर करतिन सब काम।
खटिया सुत के गावत रहितिन,जय जय आलसीराम के नाम।
आलस खेती भलुवा खोथे-सच के झूठा बता तिहीं।
पड़र पड़र मुंह ला मारे मं काम अब ले बनिस नहीं।

हाथ मं हाथ धरे मं कोनो काम हाथ म नई आवय।
मुंह मारे मं मुंह देखे मुंह मं कौरा नइ जावय।
दौड़ धूप बिना सुजी बिचारी एको कपड़ा सी नहीं।
पड़र पड़र मुुंह ला मारे मं काम अब ले बनिस नहीं।