(राग नारायणी-तीन ताल)
असुरोंने आ किया आक्रमण देवोंपर सहसा उद्दण्ड।
सुर-पुकार सुन, उठे रोषभर हरि, ताना कठोर कोदण्ड॥
धर प्रत्यञ्चा खींचा धनुको, हुआ भयानक धनु-टंकार।
भडक़ उठी ज्वाला भीषण, उमड़ा कालानल कर हुंकार॥
होगा अब विनष्ट जल-भुनकर असुरोंका सारा समुदाय।
यों फिर साधु बनेंगे सब वे तजकर अघ-अनीति-अन्याय॥