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असुरों ने आ किया आक्रमण / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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(राग नारायणी-तीन ताल)
असुरोंने आ किया आक्रमण देवोंपर सहसा उद्दण्ड।
 सुर-पुकार सुन, उठे रोषभर हरि, ताना कठोर कोदण्ड॥
 धर प्रत्यञ्चा खींचा धनुको, हु‌आ भयानक धनु-टंकार।
 भडक़ उठी ज्वाला भीषण, उमड़ा कालानल कर हुंकार॥
 होगा अब विनष्ट जल-भुनकर असुरोंका सारा समुदाय।
 यों फिर साधु बनेंगे सब वे तजकर अघ-‌अनीति-‌अन्याय॥