http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A4%BF_%E0%A4%B0%E0%A5%87_%E0%A4%AD%E0%A5%88%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%BE_%E0%A4%95%E0%A5%87,_%E0%A4%B2%E0%A4%AC%E0%A4%BE_%E0%A4%B2%E0%A4%AC%E0%A4%BE_%E0%A4%9F%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%97_%E0%A4%B9%E0%A5%87_/_%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95%E0%A4%97%E0%A5%80%E0%A4%A4&feed=atom&action=historyअहि रे भैसुरबा के, लबा लबा टाँग हे / अंगिका लोकगीत - अवतरण इतिहास2024-03-29T09:13:13Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A4%BF_%E0%A4%B0%E0%A5%87_%E0%A4%AD%E0%A5%88%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%BE_%E0%A4%95%E0%A5%87,_%E0%A4%B2%E0%A4%AC%E0%A4%BE_%E0%A4%B2%E0%A4%AC%E0%A4%BE_%E0%A4%9F%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%97_%E0%A4%B9%E0%A5%87_/_%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95%E0%A4%97%E0%A5%80%E0%A4%A4&diff=225787&oldid=prevLalit Kumar: '{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKCatAngikaRachna}} <poem> कन्या-निरीक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया2017-04-28T11:05:01Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKCatAngikaRachna}} <poem> कन्या-निरीक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया</p>
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कन्या-निरीक्षण के समय वर का बड़ा भाई दुलहन के लिए दिये जाने वाले वस्त्राभूषणों को देवताओं को अर्पित करके उसे देता है और अंत में वह सौभाग्यवर्द्धन के लिए दुलहन को आशीर्वाद भी देता है। वर का बड़ा भाई दुलहन का इस समय प्रधान और अंतिम बार स्पर्श करता है। इस अवसर पर स्त्रियाँ वर के बड़े भाई को गीत में भला-बुरा कहती हैं और उसकी दी हुई चीजों को हेय बतलाती हैं तथा उसका मजाक उड़ाती हैं।<br />
इस क्षेत्र में विवाह के बाद शुभ मुहूर्त्त में ‘घोघटा’ , ‘मथझक्का’ या ‘घूँघट’ की विधि संपन्न होती है। कन्या-निरीक्षण भी इसी समय होता है। बिहार के पश्चिमी क्षेत्रों में कन्या-निरीक्षण की विधि विवाह-संस्कार के पूर्व तथा द्वारपूजा के बाद होती है और ‘मथझक्का’ की बेटी-विदाई के पहले। अंगिका-क्षेत्र में भी पश्चिम से आये लोगों ओर कान्यकुब्ज ब्राह्मणों में कन्या-निरीक्षण की परिपाटी पश्चिम जैसी ही है।<br />
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अहि<ref>इस</ref> रे भैंसुरबा<ref>पति का बड़ा भाई; जेठ</ref> के, लंबा लंबा टाँग हे।<br />
ओहि टाँगे नापलक, माड़बा हमार हे॥1॥<br />
अहि रे भैंसुरबा के, टिटही<ref>पानी के किनारे रहने वाली एक चिड़िया, इसके पैर लंबे होते हैं; टिटिहरी</ref> सन<ref>समान</ref> सन हाथ हे।<br />
ओहि हाथे छुबलक, गौरी हमार हे॥2॥<br />
अहि रे भैंसुरबा के, डोका<ref>घोंघा; शंख की जाति का एक कीड़ा; पीठ पर रखकर मनुष्य को ढोने वाला टोकरीनुमा पात्र, इसका उपयोग पहाड़ी लोग पहाड़ पर चढ़ते समय करते हैं</ref> ऐसन आँख हे।<br />
ओहि आँखि देखलक, गौरी हमार हे॥3॥<br />
अहि रे भैंसुरबा के, लूरो<ref>ढंग; ज्ञान</ref> नहिं आबै हे।<br />
सड़िया ओढ़ाबै में, काँपइ छै हाथ हे॥4॥<br />
अहि रे भैंसुरबा के, तनिको न गेआन हे।<br />
गहना चढ़ैते काल, डोलै लागल परान हे॥5॥<br />
अहि रे भैंसुरबा के, खरहा सन कान हे।<br />
ओहि काने सुनलक, मड़बा के गान हे॥6॥<br />
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{{KKMeaning}}</div>Lalit Kumar