काट-काट'र ओळ्यां
मुगत हूवणो चावै जुगत सूं
-स्याणा
कविता मांय बडी जाच लगावै
झूठ नैं सांप्रतै साच बतावै
इण वास्तै :
लीकां सूं हट'र चाल
हां-हूं छोड, नट'र चाल
पछै आपैई क्रांति हू ज्यासी
नींतर साथी देख लेई
सबद री दुनिया मांय भ्रांति हू ज्यासी
छोड राह
-पुराणा।