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आँखें / तुम्हारे लिए / मधुप मोहता

तेरी ख़्वाबीदा आँखें
और आँखों में जगी रातें,
तेरी बातें तेरी बातों में
बिखरी हुई, बिसरी सी
खोई-खोई उम्मीद,
कि जैसे किसी जलते
हुए सहरा में बरसें
भीगी बरसातें,
आएँ याद फिर
तुझसे मुलाकातें।