भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आँखों की कोर का बडा हिस्सा तरल मिला / जहीर कुरैशी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जहीर कुरैशी }} आँखों की कोर का बडा हिस्सा तरल मिला,<br> रोन...)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=जहीर कुरैशी
 
|रचनाकार=जहीर कुरैशी
 
}}
 
}}
आँखों की कोर का बडा हिस्सा तरल मिला,<br>
+
{{KKCatGhazal}}
रोने के बाद भी, मेरी आँखों में जल मिला। <br><br>
+
<poem>
 +
आँखों की कोर का बडा हिस्सा तरल मिला,
 +
रोने के बाद भी, मेरी आँखों में जल मिला।
  
उपयोग के लिए उन्हें झुग्गी भी चाहिए, <br>
+
उपयोग के लिए उन्हें झुग्गी भी चाहिए,
झुग्गी के आसपास ही उनका महल मिला। <br><br>
+
झुग्गी के आसपास ही उनका महल मिला।
  
आश्वस्त हो गए थे वो सपने को देख कर, <br>
+
आश्वस्त हो गए थे वो सपने को देख कर,
सपने से ठीक उल्टा मगर स्वप्न-फल मिला। <br><br>
+
सपने से ठीक उल्टा मगर स्वप्न-फल मिला।
  
इक्कीसवीं सदी में ये लगता नहीं अजीब, <br>
+
इक्कीसवीं सदी में ये लगता नहीं अजीब,
नायक की भूमिका में लगातार खल मिला। <br><br>
+
नायक की भूमिका में लगातार खल मिला।
  
पूछा गया था प्रश्न पहेली की शक्ल म, <br>
+
पूछा गया था प्रश्न पहेली की शक्ल म,
लेकिन, कठिन सवाल का उत्तर सरल मिला। <br><br>
+
लेकिन, कठिन सवाल का उत्तर सरल मिला।
  
उसको भी कैद कर न सकी कैमरे की आँख, <br>
+
उसको भी कैद कर न सकी कैमरे की आँख,
जीवन में चैन का जो हमें एक पल मिला। <br><br>
+
जीवन में चैन का जो हमें एक पल मिला।
  
ऐसे भी दृश्य देखने पडते हैं आजकल, <br>
+
ऐसे भी दृश्य देखने पडते हैं आजकल,
कीचड की कालिमा में नहाता कमल मिला।
+
कीचड की कालिमा में नहाता कमल मिला।</poem>

21:33, 20 अप्रैल 2021 के समय का अवतरण

आँखों की कोर का बडा हिस्सा तरल मिला,
रोने के बाद भी, मेरी आँखों में जल मिला।

उपयोग के लिए उन्हें झुग्गी भी चाहिए,
झुग्गी के आसपास ही उनका महल मिला।

आश्वस्त हो गए थे वो सपने को देख कर,
सपने से ठीक उल्टा मगर स्वप्न-फल मिला।

इक्कीसवीं सदी में ये लगता नहीं अजीब,
नायक की भूमिका में लगातार खल मिला।

पूछा गया था प्रश्न पहेली की शक्ल म,
लेकिन, कठिन सवाल का उत्तर सरल मिला।

उसको भी कैद कर न सकी कैमरे की आँख,
जीवन में चैन का जो हमें एक पल मिला।

ऐसे भी दृश्य देखने पडते हैं आजकल,
कीचड की कालिमा में नहाता कमल मिला।