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आँखों में हमारी नई दुनिया के ख़्‍वाब हैं / शशिप्रकाश

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दुनिया के हर सवाल के हम ही जवाब हैं
आँखों में हमारी नई दुनिया के ख़्‍वाब हैं ।

इन बाजुओं ने साथी ये दुनिया बनाई है
काटा है जंगलों को, बस्‍ती बसाई है
जांगर खटा के खेतों में फसलें उगाई हैं
सड़कें निकाली हैं, अटारी उठाई है
ये बाँध बनाए हैं, फ़ैक्‍टरी बनाई है
हम बेमिसाल हैं हम लाजवाब हैं
आँखों में हमारी नई दुनिया के ख़्‍वाब हैं ।

अब फिर नया संसार बनाना है हमें ही
नामों-निशाँ सितम का मिटाना है हमें ही
अब आग में से फूल खिलाना है हमें ही
फिर से अमन का गीत सुनाना है हमें ही
हम आने वाले कल के आफताबे-इन्‍क़लाब हैं
आँखों में हमारी नई दुनिया के ख्‍़वाब हैं ।

हक़ के लिए अब जंग छेड़ दो दोस्‍तो
जंग बन के फूल उगेगा दोस्‍तो
बच्‍चों की हँसी को ये खिलाएगा दोस्‍तो
प्‍यारे वतन को स्‍वर्ग बनाएगा दोस्‍तो
हम आने वाले कल की इक खुली क़िताब हैं
आँखों में हमारी नई दुनिया के ख्‍़वाब हैं ।