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आँख का फ़ैसला दिल की तज्वीज़ है / बी. आर. विप्लवी

आँख का फ़ैसला दिल की तज्वीज़ है
इश्क़ गफ़लत भरी एक हंसी चीज़ है

आँख खुलते ही हाथों से जाती रही
ख़्वाब में खो गई कौन सी चीज़ है

मैं कहाँ आसमाँ की तरफ देखता
मेरे सजदों को जब तेरी दहलीज़ है

दिल दुखाकर रुलाते हैं आते नहीं
क्या ये अपना बनाने की तज्वीज़ है

हो न पाएगी जन्नत ज़मीं से हंसी
'विप्लवी' ज़िन्दगी ही बड़ी चीज़ है