आँख में आके बस गइल केहू
प्रान हमरो परस गइल केहू
हमरे लीपल-पोतल अँगनवाँ में
बन के बदरा बरस गइल केहू
गोर चनवा पे ई सॉवर अँधेरा
देखि के बा तरस गइल केहू
फूल त काँट से ना कहलस कुछ
झूठे ओकरा पे हँस गइल केहू
कंठ के जब बजल पिपिहरी तब
बीन के तार कस गइल केहू