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आँगन-3 / नील कमल

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घर के अंतरंग को
पूरी दुनिया से जोड़ता था
आँगन, उन दिनों
(अब पूरी दुनिया ही
अँट सकती है आँगन में)

बिना गुज़रे हुए आँगन से
न तो पहुँचा जा सकता था
घर के किसी कोने में,
और न ही मापी जा सकती
थी पृथ्वी,
अपनी समस्त गोलाई में

आँगन, घर और बाहर के बीच
एक ज़रूरी परदा भी है,
जिसके गिरते ही
दुनिया समा जाती है घर में
और घर बदल जाता है
दुनिया में ।