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आँचल की छाया में रहना, अच्छा लगता है / हरिराज सिंह 'नूर'

आँचल की छाया में रहना, अच्छा लगता है।
सारे सुख-दुख यूँ ही सहना,अच्छा लगता है।

तेरी यादों में यूँ पल-पल कटता जाए है,
आँखों-आँखों में कुछ कहना, अच्छा लगता है।

छम-छम, छम-छम बजता जाए हौले-हौले से,
पाँव बँधा तेरे यह गहना, अच्छा लगता है।

तन्हा-तन्हा सबसे रहना, सबसे मिलना भी,
तेरा दुनिया में यूँ रहना, अच्छा लगता है।

चुपके-चुपके ‘नूर’ बहाकर आँसू आँखों से,
तेरा मुझसे सब कुछ कहना, अच्छा लगता है।