Last modified on 5 जून 2018, at 19:53

आँचल माँ का / धनंजय वर्मा

ठोकड़ी, बोटी, कोन्दा, पोदुम
भैरम बाबा की चट्टानी काया
विद्यमान है,
फिर कहाँ हो गए तुम गुम !
चिथड़ा-चिथड़ा हो रहा है माँ का आँचल
छिनती जाती माँ की यह गोद
फिर क्यों हो तुम गुमसुम,
ठोकड़ी, बोठी, कोन्दा, पोदुम...?