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आँधी आई / मोहम्मद साजिद ख़ान

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आँधी आई बडे़ ज़ोर-से
धूल उड़ी ।।

उड़ा बिछौना, उड़ी दुलाई
और उड़ा टिन्नू का टोप,
टीन गिरा छत ऊपर रक्खा
मानो अभी दगी हो तोप ।

गिरा घोंसला, उड़कर भागे
चिड़ा-चिड़ी ।।
 
दौड़ी मम्मी, दौड़ी दीदी
खिड़की बंद की तत्काल,
लेकिन धूल पड़ी आँखों में
टिन्नू जी रोए बेहाल ।

बिजली गुल हो गई,न जाने
कौन घड़ी ।।