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आँधी के आम / दिनेश कुमार शुक्ल

फिर यहीं आयेंगे ऋषि मुनि
इसी संकरे दुआर की
डयोढ़ी पर
नवायेंगे माथ,
सत्य की असिधार पर
चल कर वे आयेंगे
आतप में तपते हुए
आयेंगे घर-फूंक
बलिदानी अन्वेषक

भटकती ही रहेंगी
तुम्हारे भटकाव में
अक्षौहिणी सेनायें

डूबते रहेंगे
तुम्हारी गहराई में
साधक सिद्ध सुजान

छलकते रहेंगे अकारथ
तुम्हारे ये अमृतघट
बीनती रहेगी मृत्यु
आँधी के आम