Last modified on 27 दिसम्बर 2010, at 02:35

आंख कैवै तो ई / सांवर दइया

बै सबद कठै
जिका कर सकै
बखाण
सौ टका साचो बखाण

म्हारी आंख्यां आगै
पसरियोड़ी है
कुदरत रो मदछकियो जोबन
अणहद रूप
इणी मद छकियै जोबन
अर अणहद रूप रो
एक टुकड़ो
तूं

सावल देखयो-परख्यो
केई-केई दफै
चढ़ियो
उतरियो
डील रा डूंगर
डील री ढळांद
गुजरियो गरम गुफावां सूं
तावड़ै में बैठ्यो
थारै केसां री ठण्डी छींया
सीयाळै में सोध्यो
बोबा-गढ़ में निवास
पण आज
लाख जतन करियां ई
सांमै कोनी आवै
सागी बात

आं होठां नै कांई ठा
देखण आळी तो आंख ही

तूं कांईं है
  कैड़ी है
अबै आ आंख कैवै तो ई
ठा पड़ै !