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"आंगन के पार द्वार खुले / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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: आंगन के पार
 
: आंगन के पार

23:29, 1 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

आंगन के पार
द्वार खुले
द्वार के पार आंगन
भवन के ओर-छोर
सभी मिले--
उन्हीं में कहीं खो गया भवन :
कौन द्वारी
कौन आगारी, न जाने,
पर द्वार के प्रतिहारी को
भीतर के देवता ने
किया बार-बार पा-लागन।