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आंण-जांण / चंद्रप्रकाश देवल

थारै सिधायां पूठै
रैय जावै म्हारै रतन आंगणै
थारी छूट्योड़ी सुंगधी छींयां रौ पसार
कंकू वरणा पगल्या जोय
म्हैं व्है जावूं आक-बाक

थूं आई
तौ पछै पगमंडणा रै मिस पाथर्योड़ौ मन
कोरौ कीकर छूटग्यौ

ओळूंपगी!
अैड़ा कांई पगल्या धरै
के आंण-जांण री ठाह ई नीं पड़ै
अर बायरी खासी ताळ धूजबौ करै।