"आइए, कुछ नया करें / मनोज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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ब्याह की चिर-आस में | ब्याह की चिर-आस में | ||
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और हौले-हौले पछताकर | और हौले-हौले पछताकर | ||
कुम्हलाई, मुरझाई, पथराई | कुम्हलाई, मुरझाई, पथराई | ||
अनब्याही अधेड़ लड़कियों को तज | अनब्याही अधेड़ लड़कियों को तज | ||
आप मोहल्ले की कुतियों से | आप मोहल्ले की कुतियों से | ||
− | ब्याह | + | ब्याह रचाएँ |
− | हनीमून मनाने स्विटजरलैंड | + | हनीमून मनाने स्विटजरलैंड जाएँ, |
आप बेशक! लोगों के लिए फैन होंगे | आप बेशक! लोगों के लिए फैन होंगे | ||
− | मीडियाजनों और | + | मीडियाजनों और ख़बरनवीसों से घिरे होंगे |
'सर' और महाशय होंगे | 'सर' और महाशय होंगे | ||
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परिजनों की शादी और | परिजनों की शादी और | ||
शिशु के जन्म पर | शिशु के जन्म पर | ||
− | + | काली पोशाकेम पहन मातम मनाएँ, | |
फसल सूख जाए तो | फसल सूख जाए तो | ||
खाली खलिहानों में पिकनिक मनाएँ | खाली खलिहानों में पिकनिक मनाएँ | ||
− | और अगर | + | और अगर फसलें लहलहाएँ तो |
उनकी होली जलाएँ | उनकी होली जलाएँ | ||
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उसके 'शहीद' होने पर | उसके 'शहीद' होने पर | ||
उसे देशव्यापी भावभीनी श्रद्धांजलि दें, | उसे देशव्यापी भावभीनी श्रद्धांजलि दें, | ||
− | उसकी माल्यार्पित | + | उसकी माल्यार्पित फ़ोटो |
संसद के केन्द्रीय कक्ष में लगाएँ, | संसद के केन्द्रीय कक्ष में लगाएँ, | ||
उसकी स्मृति में | उसकी स्मृति में | ||
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यानी, खूँखार आतंकवादियों का | यानी, खूँखार आतंकवादियों का | ||
जघन्य देशद्रोहियों का | जघन्य देशद्रोहियों का | ||
− | राष्ट्रीय सम्मेलन | + | राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाएँ, |
उनकी मौज़ूदगी में | उनकी मौज़ूदगी में | ||
क़ुरान और गीता जलाएँ, | क़ुरान और गीता जलाएँ, | ||
बुद्ध, अशोक, अकबर, गाँधी के पुतलों पर | बुद्ध, अशोक, अकबर, गाँधी के पुतलों पर | ||
− | जूतों की | + | जूतों की मालाएँ चढ़ाएँ, |
साखियों, सरमनों | साखियों, सरमनों | ||
ऋचाओं और धम्मों के रिकार्ड बजा | ऋचाओं और धम्मों के रिकार्ड बजा | ||
उन पर ठठा-ठठा | उन पर ठठा-ठठा | ||
− | गलाफोड़ | + | गलाफोड़ हँसी हँसें |
ताने और फब्तियाँ कसें | ताने और फब्तियाँ कसें | ||
आइए, कर्मवादी बनेँ | आइए, कर्मवादी बनेँ | ||
अपसंस्कृति की आँधी बनेँ | अपसंस्कृति की आँधी बनेँ | ||
− | अर्थात | + | अर्थात टी०वी० और इन्टरनेट पर |
− | आदमगोश्त के कबाब की विधियाँ | + | आदमगोश्त के कबाब की विधियाँ सिखाएँ, |
सेंधमारी, हत्या, डकैती के गुर बताएँ | सेंधमारी, हत्या, डकैती के गुर बताएँ | ||
बलात्कार का सीधा प्रसारण करें, | बलात्कार का सीधा प्रसारण करें, | ||
आइए, दूरदर्शन के उदारीकरण के दौर में | आइए, दूरदर्शन के उदारीकरण के दौर में | ||
− | जनानेंद्रियों के आदिम कार्य | + | जनानेंद्रियों के आदिम कार्य दर्शाए~म, |
साँड़ों को कमसिन लौंडियों पर, | साँड़ों को कमसिन लौंडियों पर, | ||
कामांध मर्दों को | कामांध मर्दों को | ||
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और क्षितिज के पार | और क्षितिज के पार | ||
इस पल्लवित संस्कृति को | इस पल्लवित संस्कृति को | ||
− | बुलंद करें | + | बुलंद करें! |
+ | '''रचनाकाल''' : ०७-०९-१९९९) |
21:22, 22 जून 2010 का अवतरण
कनाट प्लेस की
अति जनसंकुल जगह पर
आप गाजे-बाजे
बैनर-इश्तेहार समेत
अपनी वैध-अवैध प्रेमिका को नंगाकर
माइक पर प्रेमालाप करें,
सच मानिए--
आप गिनीज बुक की
सुर्खियों में होंगे
ब्याह की चिर-आस में
गदराई, फुलझड़ियाई
और हौले-हौले पछताकर
कुम्हलाई, मुरझाई, पथराई
अनब्याही अधेड़ लड़कियों को तज
आप मोहल्ले की कुतियों से
ब्याह रचाएँ
हनीमून मनाने स्विटजरलैंड जाएँ,
आप बेशक! लोगों के लिए फैन होंगे
मीडियाजनों और ख़बरनवीसों से घिरे होंगे
'सर' और महाशय होंगे
लोकतंत्र का तकाज़ा है
कि आइए कुछ नया करें
अनैतिहासिक काम डटकर करें,
यानी, अपने बच्चों की अकाल मौत पर
प्रीतिभोज का आयोजन करें,
परिजनों की शादी और
शिशु के जन्म पर
काली पोशाकेम पहन मातम मनाएँ,
फसल सूख जाए तो
खाली खलिहानों में पिकनिक मनाएँ
और अगर फसलें लहलहाएँ तो
उनकी होली जलाएँ
आइए, कुछ नया करें
आतंकवादियों पर दया करें,
उन्हें मेडल और उपाधि दें
आजीवन पेन्शन, भेंट आदि दें
किसी मानव बम के फटने पर
उसके 'शहीद' होने पर
उसे देशव्यापी भावभीनी श्रद्धांजलि दें,
उसकी माल्यार्पित फ़ोटो
संसद के केन्द्रीय कक्ष में लगाएँ,
उसकी स्मृति में
शहीद उद्यान लगाएँ,
उसके आश्रितों को
मानार्थ संरक्षण दें
आइए, कुछ ऐसा करें
आदर्श देशभक्तों जैसा करें
यानी, खूँखार आतंकवादियों का
जघन्य देशद्रोहियों का
राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाएँ,
उनकी मौज़ूदगी में
क़ुरान और गीता जलाएँ,
बुद्ध, अशोक, अकबर, गाँधी के पुतलों पर
जूतों की मालाएँ चढ़ाएँ,
साखियों, सरमनों
ऋचाओं और धम्मों के रिकार्ड बजा
उन पर ठठा-ठठा
गलाफोड़ हँसी हँसें
ताने और फब्तियाँ कसें
आइए, कर्मवादी बनेँ
अपसंस्कृति की आँधी बनेँ
अर्थात टी०वी० और इन्टरनेट पर
आदमगोश्त के कबाब की विधियाँ सिखाएँ,
सेंधमारी, हत्या, डकैती के गुर बताएँ
बलात्कार का सीधा प्रसारण करें,
आइए, दूरदर्शन के उदारीकरण के दौर में
जनानेंद्रियों के आदिम कार्य दर्शाए~म,
साँड़ों को कमसिन लौंडियों पर,
कामांध मर्दों को
गाय-गोरुओं पर चढ़वाएँ
आइए, ऐसे नायाब-बेमिसाल
नानाविध नुस्खों पर अमल करें,
मान और मुकुट के हकदार
अपराध-शिरोमणियों के बदले
बेज़ुबान, बेमुकाम बलात्कृतों
अपाहिज़ों, यतीमों, अपहृतों
के सिर कलम करें
और क्षितिज के पार
इस पल्लवित संस्कृति को
बुलंद करें!
रचनाकाल : ०७-०९-१९९९)