आइयो मो घर प्रान पिया
सुखचंद दया करि कै दरसाइये ।
प्याइये पानिय रूप सुधा को बिलोकि
इअतै दृग प्यास बुझाइये ।
छाइये सीतलता 'हरीचंद' जू हा हा
लगी हियरे की बुझाइये ।
लाइये मोहि गरे हसि कै उर
ग्रीषमै प्यारे हिमन्त बनाइये ।
आइयो मो घर प्रान पिया
सुखचंद दया करि कै दरसाइये ।
प्याइये पानिय रूप सुधा को बिलोकि
इअतै दृग प्यास बुझाइये ।
छाइये सीतलता 'हरीचंद' जू हा हा
लगी हियरे की बुझाइये ।
लाइये मोहि गरे हसि कै उर
ग्रीषमै प्यारे हिमन्त बनाइये ।