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आईना हूँ मैं तुम्हारा / रजनी अनुरागी



माना कि तुम बहुत बहादुर हो
माना कि बहुत दयालु हो
माना कि तुम बहुत सहिष्णु हो
माना कि तुम बहुत अहिंसक हो
माना कि तुम बहुत ज्ञानी हो
माना कि तुम बहुत ध्यानी हो

यह सब कुछ माना मैंने
मगर इस सबसे अलग
इस सबसे जुदा
एक और भी रूप तुम्हारा
बेहद सच्चा रूप
जिसे सिर्फ़ मैं देखती हूँ एक स्त्री के रूप में
इसमें आश्चार्य क्या है
मैं तुम्हारा आईना हूँ
आईना हूँ मैं तुम्हारा