भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आओ तलाशें वे शब्द / मदन गोपाल लढा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:52, 17 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन गोपाल लढा }} {{KKCatKavita}} <poem> वेद कहते हैं इस सृष्टि म…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वेद कहते हैं
इस सृष्टि में
अभी तक स्थिर है
वे शब्द
जिनसे रचे गए मंत्र
युगों की साधना से।

ओ मेरे सृजक!
आओ तलाशें
उन शब्दों को
पहचानें
उनके तेज को
उतारें
उन मंत्रों की आत्माओं को
हमारी कविता में
साधें सम्बन्ध
उनकी गूँज से।


फ़िर देखना
हमारी कविता
कम नहीं होगी
किसी मंत्र से।


मूल राजस्थानी से अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा