भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आओ बच्चो / दीनदयाल शर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आओ बच्चो रेल बनाएँ ।
आगे-पीछे हम जुड़ जाएँ ।।

ईशु तम इंजन बन जाओ ।
लाली तुम पीछे चली जाओ ।।

गार्ड बन तुम काम करोगी ।
संकट में गाड़ी रोकोगी ।।

हम डिब्बे बन जाएँगे ।
छुक-छुक रेल चलाएँगे ।।