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"आकस्मिक मृत्यु / कुमार अंबुज" के अवतरणों में अंतर

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बच्चे साँप-सीढ़ी खेल रहे हैं
 
बच्चे साँप-सीढ़ी खेल रहे हैं
 
 
जब उन्हें भूख लगेगी वे रोटी मांगेंगे
 
जब उन्हें भूख लगेगी वे रोटी मांगेंगे
 
 
उन्हें तुम्हारे भीतर से उठती रुलाई का पता नहीं
 
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वे मृत्यु को उस तरह नहीं जानते जैसे वयस्क जानते हैं
 
वे मृत्यु को उस तरह नहीं जानते जैसे वयस्क जानते हैं
 
 
जब वे जानेंगे इसे तो दुख की तरह नहीं
 
जब वे जानेंगे इसे तो दुख की तरह नहीं
 
 
किसी टूटी-फूटी स्मृति की तरह ही
 
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अभी तो उन्हें खेलना होगा, खेलेंगे
 
अभी तो उन्हें खेलना होगा, खेलेंगे
 
 
रोना होगा, रोयेंगे
 
रोना होगा, रोयेंगे
 
 
अचानक खिलखिला उठेंगे या ज़िद करेंगे
 
अचानक खिलखिला उठेंगे या ज़िद करेंगे
 
 
तुम हर हाल में अपना रोना रोकोगे
 
तुम हर हाल में अपना रोना रोकोगे
 
 
और कभी-कभी नहीं रोक पाओगे
 
और कभी-कभी नहीं रोक पाओगे
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20:20, 18 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

बच्चे साँप-सीढ़ी खेल रहे हैं
जब उन्हें भूख लगेगी वे रोटी मांगेंगे
उन्हें तुम्हारे भीतर से उठती रुलाई का पता नहीं
वे मृत्यु को उस तरह नहीं जानते जैसे वयस्क जानते हैं
जब वे जानेंगे इसे तो दुख की तरह नहीं
किसी टूटी-फूटी स्मृति की तरह ही

अभी तो उन्हें खेलना होगा, खेलेंगे
रोना होगा, रोयेंगे
अचानक खिलखिला उठेंगे या ज़िद करेंगे
तुम हर हाल में अपना रोना रोकोगे
और कभी-कभी नहीं रोक पाओगे