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"आख़िर ग़मे-ज़ाना को ऐ दिल बढ़ के ग़मे-दौराँ होना था / मजरूह सुल्तानपुरी" के लिये जानकारी

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प्रदर्शित शीर्षकआख़िर ग़मे-ज़ाना को ऐ दिल बढ़ के ग़मे-दौराँ होना था / मजरूह सुल्तानपुरी
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